Chapter 11: वाच्‍यम्

Sanskrit - Abhyaswaan Bhav • Class 10

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Chapter Analysis

Intermediate5 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में संस्कृत व्याकरण के महत्वपूर्ण पाठ वाच्य के बारे में चर्चा की गई है। पाठ में स्पष्ट किया गया है कि वाक्य की संरचना में कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य और भाववाच्य का क्या महत्त्व होता है। इस अध्याय के माध्यम से कर्ता, कर्म और भाव के अनुसार वाक्यों का परिवर्तन करना सिखाया जाता है, जिससे छात्रों को संस्कृत की विभिन्न शैलियों का ज्ञान होता है।

Key Topics

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य
  • वाक्य रचना
  • संस्कृत व्याकरण

Learning Objectives

  • कर्तृवाच्य का महत्व
  • कर्मवाच्य का उपयोग
  • भाववाच्य की समझ
  • वाक्य परिवर्तन की कला सीखना

Questions in Chapter

बालक: िायसं खादतत।

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अहं फलं खादातम।

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तर्ं तकं शणृोतष?

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Additional Practice Questions

कर्ता और कर्म का व्याक्यता देना।

medium

Answer: कर्ता वह है जो क्रिया करता है और कर्म वह है जिस पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है।

वाच्य का अर्थ और प्रकार समझाइये।

easy

Answer: वाच्य वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव का महत्त्व बताने वाला संस्कृत व्याकरण का भाग है, जिसमें तीन प्रकार हैं - कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, और भाववाच्य।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में वाक्य परिवर्तन का उदाहरण दें।

hard

Answer: कर्तृवाच्य: बालक: िायसं खादतत। कर्मवाच्य: िायस: खादते।