Chapter 8: प्रत्‍यया:

Sanskrit - Abhyaswaan Bhav • Class 10

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Chapter Analysis

Intermediate10 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में विभिन्न प्रकार के प्रतयों का वर्णन किया गया है, जैसे कि क्रियाप्रत्य, तद्धित प्रत्य, आदि। यह अध्याय छात्रों को संस्कृत में शब्द निर्माण और उनके अर्थ को समझाने में सहायता करता है। शब्दों के विभिन्न रूपों के माध्यम से भाषा की जटिलताओं को सरल तरीके से समझाया गया है।

Key Topics

  • कृदंत प्रत्य
  • तद्धित प्रत्य
  • स्त्री प्रत्य
  • अनीयर प्रत्य
  • तव्यत प्रत्य
  • ठक् प्रत्य

Learning Objectives

  • प्रतयों की पहचान करना।
  • प्रतयों का अर्थ समझना।
  • संस्कृत शब्द निर्माण के नियम का ज्ञान प्राप्त करना।
  • संस्कृत भाषा की जटिलताओं को समझना।
  • व्याकरणिक संरचना को समझना।

Questions in Chapter

अधोठिठितेरु कोष्िकप्रर्त्तशबरै्: सह ‘िक्’ प्रतययसय प्रयोगं कृतवा ररकतसथानाठन पूरयत — (i) . (धमत्त+ठक्) जना: धमत्तम्एर् आचरतन्त।

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शुद् ंठवक्पं ठितवा ररकतसथानाठन पूरयत — (i) इयं .............................. िठतत।

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अधो ठ िठितेरु कोष्िकप्रर्त्तशबरै्: सह ‘िक्’ प्रतययसय प्रयोगं कृतवा ररकतसथा नाठन पूरयत — (i) . (धमत्त+ठक्) जना: धमत्तम्एर् आचरतन्त।

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Additional Practice Questions

‘प्रतयया:’ किस अर्थ का बोध कराते हैं और इनके कितने प्रकार होते हैं?

medium

Answer: ‘प्रतयया:’ धातु के अंत में लग कर उनका अर्थ बदलने का कार्य करते हैं। इनके प्रमुख प्रकार हैं - कृदंत, तद्धित, स्त्री प्रतयया:।

‘अनीयर’ प्रत्य का प्रयोग किस प्रकार के शब्दों में होता है?

medium

Answer: ‘अनीयर’ प्रत्य का प्रयोग उन शब्दों में होता है जो किसी विशेष कार्य या धर्म का संकेत देते हैं, जैसे 'स्तयनरीय:'.

‘तव्यत’ प्रत्य का प्रयोग कैसे किया जाता है?

hard

Answer: यह प्रत्य कर्मवाचक प्रयोग में होता है जहां कर्ता ज्ञात नहीं होता।

संस्कृत में प्रतयों के क्या महत्त्व हैं?

easy

Answer: संस्कृत में प्रतयों का उपयोग शब्दों के विशेष अर्थ को स्पष्ट करने, शब्द निर्माण और भाषाई संरचना को विस्तृत करने के लिए होता है।

‘त्व’ प्रत्य का प्रयोग कैसे और किन शब्दों के साथ होता है?

medium

Answer: ‘त्व’ प्रत्य का प्रयोग विशेषण शब्दों के साथ होता है और यह 'त्व' का अर्थ प्रस्तुत करता है, जैसे 'शांतत्व'.