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Chapter Analysis
Intermediate12 pages • HindiQuick Summary
इस अध्याय में 'कारक' और 'विभक्ति' के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसके अंतर्गत कारक की परिभाषा, प्रकार और उनका वाक्य में प्रयोग विशेष रूप से समझाया गया है। विभक्ति के माध्यम से शब्दों के व्याकरणीय सम्बन्ध को दर्शाया जाता है। यह अध्याय विभिन्न कारकों जैसे कर्ता, कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, और अधिकरण आदि के उपयोग पर केंद्रित है।
Key Topics
- •कर्त्ता कारक
- •कर्म कारक
- •करण कारक
- •संप्रदान कारक
- •अपादान कारक
- •अधिकरण कारक
- •विभक्ति के प्रकार
- •संम्बोधन विभक्ति
Learning Objectives
- ✓छात्र कारक की परिभाषा और प्रकार समझ सकेंगे।
- ✓विभक्ति के विभिन्न उपयोगों को पहचान सकेंगे।
- ✓संस्कृत वाक्यों में कारक और विभक्ति का उचित प्रयोग कर सकेंगे।
- ✓विभिन्न कारकों के उदाहरण देकर उनके भेद को स्पष्ट कर सकेंगे।
- ✓विभक्ति तालिका को स्मरण करके सही तरीके से उपयोग कर सकेंगे।
- ✓प्रत्येक कारक के साथ आने वाली विभक्तियों को पहचान सकेंगे।
Questions in Chapter
क: ददाति? य्याजत: (कर्त्ता) प्रथमा विभक्ति
Answer: य्याजत: (कर्त्ता) प्रथमा विभक्ति
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कं ददाति? धनं (कर्म) द्वितीया विभक्ति
Answer: धनं (कर्म) द्वितीया विभक्ति
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केन ददाति? हस्तेन (करण) तृतीया विभक्ति
Answer: हस्तेन (करण) तृतीया विभक्ति
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केभ्यः ददाति? याचकेभ्यः (संप्रदान) चतुर्थी विभक्ति
Answer: याचकेभ्यः (संप्रदान) चतुर्थी विभक्ति
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कस्मात् ददाति? कोषात् (अपादान) पञ्चमी विभक्ति
Answer: कोषात् (अपादान) पञ्चमी विभक्ति
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कुत्र ददाति? स्वभवने (अधिकरण) सप्तमी विभक्ति
Answer: स्वभवने (अधिकरण) सप्तमी विभक्ति
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Additional Practice Questions
कर्तृ कारक का प्रयोग किस प्रकार होता है?
mediumAnswer: कार्य को स्वयंपूर्ण रूप से करने वाले को कर्ता कहा जाता है। उदाहरणः 'रीता: पुस्तकं पठति', यहाँ 'रीता' पुस्तक को पढ़ने वाली है, अतएव 'रीता' कर्त्ता कारक है।
कर्म कारक क्या है और इसका उदाहरण दीजिए।
mediumAnswer: जिस कार्य का क्रिया के द्वारा भोग होता है उसे कर्म कारक कहते हैं। उदाहरणः 'रामः फलं खदति', यहाँ 'फलं' भोग्य है अतः यह कर्म कारक है।
तृतीया विभक्ति का प्रयोग कैसे किया जाता है?
easyAnswer: तृतीया विभक्ति का उपयोग साधन अर्थ में होता है, जैसे 'कलमेन लिखति', यहाँ 'कलम' लेखन का साधन है।
अपादान कारक का परिभाषा और उदाहरण क्या है?
hardAnswer: जिससे वस्तु अलग हो वह अपादान कारक है। उदाहरणः 'वृक्षात् पत्रं पतति', यहाँ 'वृक्षात्' अपादान कारक है क्योंकि पत्ता वृक्ष से अलग हो रहा है।
संप्रदान कारक का उदाहरण दीजिए।
mediumAnswer: कार्य जिसके लिए समर्पित होता है उसे संप्रदान कारक कहते हैं। उदाहरणः 'गुरु: छात्राय पुस्तकं ददाति', यहाँ 'छात्राय' संप्रदान कारक है।
सम्बोधन विभक्ति का प्रयोग कैसे होता है?
easyAnswer: किसी को संबोधित करने के लिए सम्बोधन विभक्ति का प्रयोग होता है, जैसे 'हे राम!', यहाँ 'राम' संबोधित है।
अधिकरण कारक का प्रयोग किस तरह होता है?
mediumAnswer: जिसमें क्रिया का ठीक स्थान होता है, वहाँ अधिकरण कारक का प्रयोग होता है। जैसेः 'गायः खेतरि चरन्ति', जहाँ 'खेतरि' अधिकरण कारक है।