Chapter 7: कंपनी निर्माण

Business Studies - Hindi • Class 11

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Chapter Analysis

Intermediate20 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में कंपनी निर्माण की प्रक्रिया और संरचना पर विस्तृत चर्चा की गई है, जिसमें कंपनी के निर्माण की विभिन्न स्थितियों और आवश्यक औपचारिकताओं को शामिल किया गया है। यह अध्याय यह बताता है कि व्यापार के विभिन्न अवसरों को व्यवस्थित करने के लिए कंपनी की स्थापना कैसे महत्वपूर्ण होती है और इसके लिए कानूनी आवश्यकताएँ क्या होती हैं। कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कंपनी की परिभाषा और प्रमोटर्स की भूमिका का भी वर्णन किया गया है।

Key Topics

  • कंपनी निर्माण की प्रक्रिया
  • प्रमोटर्स की भूमिका
  • मेमोरेंडम और आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन
  • प्रॉस्पेक्टस की आवश्यकता
  • सीमित देयता कंपनियाँ
  • सार्वजनिक और निजी कंपनियों का अंतर

Learning Objectives

  • कंपनी निर्माण की प्रक्रिया को समझना
  • प्रमोटर्स की जिम्मेदारियों का ज्ञान प्राप्त करना
  • मेमोरेंडम और आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन के उपयोग को समझना
  • प्रॉस्पेक्टस की भूमिका को पहचानना
  • सीमित देयता कंपनियों की विशेषताओं को जानना

Questions in Chapter

कंपनी के निर्माण की विभिन्न स्थितियों के नाम लिखें।

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कंपनी संचालन के लिए आवश्यक प्रपत्रों को सूचीबद्ध करें।

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प्रवर्तक पत्र क्या है? क्या प्रत्येक कंपनी के लिए प्रवर्तक पत्र दाखिल करना आवश्यक है?

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‘आवंटन विवरणी’ शब्द को संक्षेप में समझाइए।

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कंपनी निर्माण के किस स्तर पर उसे सेबी (SEBI) से संपर्क करना होता है?

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Additional Practice Questions

कंपनी की संरचना में प्रमोटर की क्या भूमिका होती है?

medium

Answer: प्रमोटर वह व्यक्ति या समूह होते हैं जो कंपनी की स्थापना के लिए सभी प्रारंभिक व्यवस्था करते हैं, जिसमें निवेशकों को आकर्षित करना और आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करना शामिल होता है।

कंपनी बनाने की प्रक्रिया में कितने प्रकार के दस्तावेज़ आवश्यक होते हैं और वे कौन से हैं?

medium

Answer: कंपनी बनाने की प्रक्रिया में मुख्यतः तीन प्रकार के दस्तावेज़ होते हैं: मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन, आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन, और प्रॉस्पेक्टस।

सार्वजनिक और निजी कंपनी के बीच मुख्य अंतर क्या हैं?

easy

Answer: सार्वजनिक कंपनियाँ अपने शेयरों को आम जनता को बेच सकती हैं और उनके शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होते हैं, जबकि निजी कंपनियाँ अपने शेयरों को आम जनता को नहीं बेच सकती हैं और वे अनलिस्टेड रहती हैं।

भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार, कौन सी कंपनियाँ सीमित देयता कंपनियाँ होती हैं?

hard

Answer: वह कंपनियाँ जिनका उत्तरदायित्व उनके निवेशकों द्वारा धारित शेयरों तक सीमित होता है, सीमित देयता कंपनियाँ कहलाती हैं।

यदि कोई कंपनी किसी नियम का उल्लंघन करती है, तो उसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं?

hard

Answer: कंपनी किसी नियम का उल्लंघन करती है, तो उस पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है, जिसमें जुर्माना, लाईसेंस रद्द होना, या कंपनी के अधिकारियों पर दंड आदि शामिल हो सकते हैं।