Chapter 10: द्रव्य के तापीय गुण

Physics Part-2 - Hindi • Class 11

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Chapter Analysis

Advanced18 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में द्रव्यों के तापीय गुणों का अध्ययन किया गया है। इसमें ताप और तापमान के बीच भिन्नता का वर्णन है और कैसे विभिन्न द्रव्य ताप के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं, यह बताया गया है। तापीय प्रसार के सिद्धांत और इससे जुड़ी समस्याओं पर भी विचार किया गया है। अध्याय विभिन्न तापीय गुणांक और उनसे जुड़े प्रयोगों के माध्यम से इन अवधारणाओं को समझने का प्रयास करता है।

Key Topics

  • ताप और तापमान
  • तापीय प्रसार
  • तापीय गुणांक
  • तापमान मापन के पैमाने
  • ऊष्मा और ऊर्जा संचरण
  • संवहन, चालन और विकिरण

Learning Objectives

  • छात्र ताप और तापमान के बीच का अंतर समझेंगे।
  • छात्र विभिन्न तापीय गुणांकों के प्रयोग को सीखेंगे।
  • छात्र तापीय प्रसार की प्रक्रिया की व्याख्या कर सकेंगे।
  • छात्र ऊष्मा संचरण के विभिन्न रूपों को समझ सकेंगे।
  • छात्र आपेक्षिक विस्तार के महत्व को पहचान सकेंगे।

Questions in Chapter

27°C पर 1.8 cm लम्बाई की किसी तार के सिरे पर दो भिन्न वेस्टों के बीच न्यूनतम तनाव बनाकर थोड़ा खींचा गया। यदि तार को –39 °C तापमान तक ठंडा किया जाए तो तार में कितना तनाव उत्पन्न होगा?

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50 cm लम्बाई और 3.0 mm व्यास वाली किसी एल्यूमिनियम की छड़ को उसी लम्बाई और व्यास की एक स्टील की छड़ से जोड़ा गया है। यदि ये मूल लम्बाइयाँ 40°C पर हैं, तो 250 °C पर संयुक्त छड़ की लम्बाई में कितना परिवर्तन होगा?

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Additional Practice Questions

तापीय प्रसार गुणांक का उपयोग करते हुए, क्यों तापमान में परिवर्तन होने पर धातुएं विस्तारित हो जाती हैं?

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Answer: तापीय प्रसार गुणांक एक ऐसा माप है जो हमें बताता है कि तापमान में वृद्धि के कारण कोई वस्तु कितनी विस्तारित होगी। धातुएं भी इस गुणांक का पालन करती हैं और जब तापमान बढ़ता है, धातु के अणु अधिक ऊर्जा लेते हैं और एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं, जिससे धातु का आकार बढ़ता है।

स्टील और एल्यूमिनियम के बीच तापीय प्रसार में भिन्नता के कारण क्या संयुक्त संरचनाओं में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं?

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Answer: स्टील और एल्यूमिनियम के तापीय प्रसार गुणांक भिन्न होते हैं, जिस कारण तापमान परिवर्तन पर दोनों धातुओं में असमान विस्तार होता है। यह संयुक्त संरचनाओं में तनाव उत्पन्न कर सकता है, जिससे धातुओं के टूटने या विक्रण की संभावना होती है।