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Chapter Analysis
Intermediate20 pages • HindiQuick Summary
इस अध्याय में मनोविज्ञान में जाँच की विभिन्न विधियों का अध्ययन किया गया है। इसमें प्रेक्षण, प्रयोग और सर्वेक्षण जैसी जाँच विधियाँ सम्मिलित हैं। यह अध्याय विद्यार्थियों को वैज्ञानिक पद्धतियों की संरचना और उनके प्रयोग के महत्व को समझने में मदद करता है। यह विशेष रूप से छात्रों को डेटा संग्रहण और विश्लेषण के कौशल को विकसित करता है।
Key Topics
- •प्रेक्षण की विधियाँ
- •प्रयोगात्मक विधियाँ
- •सर्वेक्षण विधियाँ
- •डेटा संग्रहण
- •वैज्ञानिक पद्धतियाँ
- •विविधता में एकता
Learning Objectives
- ✓मनोविज्ञान की विभिन्न जाँच विधियों को समझना
- ✓डेटा संग्रहण की विधियों की पहचान करना
- ✓वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकताओं को समझना
- ✓विधेयात्मक और अर्ध-विधेयात्मक अनुसंधानों को अंतर करना
Questions in Chapter
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Additional Practice Questions
प्रेक्षण विधि के लाभ और हानि बताइए।
easyAnswer: प्रेक्षण विधि का लाभ यह है कि यह वास्तविक जीवन स्थितियों में व्यवहार को समझने में मदद करती है। हानि यह है कि पर्यवेक्षक की व्यक्तिगत पूर्वाग्रह से डेटा प्रभावित हो सकता है।
मनोविज्ञान में प्रयोगों का क्या महत्व है?
mediumAnswer: प्रयोग विधि मनोविज्ञान में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कारण और प्रभाव संबंधों को जांचने और परखने का एक सटीक तरीका प्रदान करती है। इसके द्वारा हम नियंत्रित परिस्थितियों में स्थितियों का विश्लेषण कर सकते हैं।
सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किन परिस्थितियों में अधिक होता है?
mediumAnswer: सर्वेक्षण विधि का उपयोग तब किया जाता है जब हमें बड़ी संख्या में व्यक्तियों से जानकारी इकट्ठा करनी होती है। यह विधि विशेष रूप से जनांकीय अध्ययन और फैलाव विश्लेषण के लिए उपयोगी है।
प्रायोगिक और अर्ध प्रायोगिक विधियों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
hardAnswer: प्रायोगिक विधियों में पूर्ण नियंत्रण होता है और इनमें अलग-अलग चर पर नियंत्रण किया जा सकता है, जबकि अर्ध प्रायोगिक विधियों में पूर्ण नियंत्रण संभव नहीं होता है और ये प्राकृतिक परिस्थितियों में किए जाते हैं।
कोरिलेशनल अनुसंधानों के लाभ बताइए।
mediumAnswer: कोरिलेशनल अनुसंधान का लाभ यह है कि यह दो या दो से अधिक मानदंडों के बीच संबंधों की पहचान करने में मदद करता है। हालांकि, यह कारणता को प्रमाणित नहीं कर सकता है।