Chapter 8: वस्त्रविकृयः

Sanskrit - Bhaswati • Class 11

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Chapter Analysis

Intermediate6 pages • Hindi

Quick Summary

यह अध्याय वस्त्र विक्रय के विषय में है जहां विदेशी व्यापारियों द्वारा भारतीय वस्त्रों की खरीद और व्यापार की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। यह व्यापारिक कार्यवाई में प्रमाण पत्रों और मुद्रा के आदान-प्रदान पर केंद्रित है। यह भारतीय वस्त्रों के विदेश में व्यापार और उनके विनिमय के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों को समझाने का प्रयास करता है।

Key Topics

  • भारतीय वस्त्र उद्योग
  • विदेशी व्यापार
  • प्रमाण पत्र का महत्व
  • मुद्रा आदान-प्रदान
  • व्यापार में पारदर्शिता
  • विदेशी व्यापारियों का योगदान

Learning Objectives

  • विदेशी व्यापार के महत्व को समझना।
  • भारतीय वस्त्र उद्योग की विशेषताओं को जानना।
  • मुद्रा के महत्व को समझना।
  • प्रमाण पत्र के महत्व का आकलन करना।
  • व्यापार में पारदर्शिता के लाभ का मूल्यांकन करना।

Questions in Chapter

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Additional Practice Questions

विदेशी व्यापारियों का भारतीय वस्त्रों के व्यापार में क्या योगदान था?

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Answer: विदेशी व्यापारी भारतीय वस्त्र को विभिन्न देशों में निर्यात करने में सहायता करते थे और इस प्रक्रिया में वे स्थानीय व्यापारियों से वस्त्र खरीदते थे और अपने देश या अन्य देशों में बेचते थे।

भारतीय वस्त्र व्यवसाय के लिए प्रमाण पत्र का क्या महत्व था?

medium

Answer: प्रमाण पत्र से व्यापार में पारदर्शिता आती थी और यह दर्शाता था कि वस्त्र वैध माध्यम से खरीदा या बेचा गया है। इससे व्यापारियों में विश्वास बढ़ता था।

वस्त्र विक्रय प्रक्रिया में मुद्रा का क्या महत्व है?

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Answer: मुद्रा के माध्यम से व्यापारियों के बीच सरलता से लेन-देन किया जा सकता था और यह वस्त्र विक्रय प्रक्रिया को अधिक सुविधा जनक बनाता था।

भारत का विदेशों के वस्त्र बाजार में स्थान कैसे स्थापित हुआ?

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Answer: उच्च गुणवत्ता और विविधता वाले भारतीय वस्त्रों ने विदेशी बाजारों में भारत का स्थान सुनिश्चित किया, जहाँ भारतीय सतियों का आदान-प्रदान होता था।

भारतीय वस्त्रों की विशेषताएँ क्या थीं जिनसे वे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में लोकप्रिय हो गए?

medium

Answer: भारतीय वस्त्रों की उच्च गुणवत्ता, सुन्दर डिजाइन और टिकाऊपन ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में लोकप्रिय बना दिया।