Chapter 8: कन्थमानिक्यम्

Sanskrit - Shashwati • Class 11

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Chapter Analysis

Intermediate12 pages • Hindi

Quick Summary

कन्थमानिक्यम् अध्याय में एक गरीब व्यक्ति की कथा है जो एक अनमोल मणि पाता है। वह उसकी अनुभूति के लिए उस मणि को अपने सिर के मंथर में बांध लेता है। इसके माध्यम से, यह पाठ यह बताता है कि सच्चा मूल्य बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि हमारी आत्मबोध में निहित है। यह कथा हमें आत्मसंतोष और आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करती है।

Key Topics

  • आध्यात्मिक संतोष
  • परमात्मा का साक्षात्कार
  • अनमोल मणि का महत्व
  • आत्मज्ञान
  • गरीबी और सम्पन्नता की परख

Learning Objectives

  • कन्थमानिक्य की कथा द्वारा आत्मसंतोष का महत्व समझना।
  • वस्तुओं की वास्तविक मूल्यपरक दृष्टि विकसित करना।
  • आंतरिक और बाह्य मूल्य का भेद करना।
  • संतोष और संपन्नता के बीच का संबंध समझना।
  • आत्मिक दृष्टिकोण को विकसित करना।

Questions in Chapter

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Additional Practice Questions

कन्थमानिक्य क्या है और इसका क्या महत्व है?

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Answer: कन्थमानिक्य एक बहुमूल्य मणि है जो एक गरीब व्यक्ति को मिलती है। इसका महत्व आत्मज्ञान और आत्मसंतोष में निहित है। यह दर्शाता है कि बाहरी साधनों से अधिक मूल्य आत्मबोध का होता है।

कोई वस्तु हमें किस प्रकार आंतरिक रूप से प्रभावित करती है?

hard

Answer: वस्तुएँ हमारे आंतरिक विचारों और भावनाओं को उभार सकती हैं। ये हमारे आत्मसम्मान और आत्मविकास में भूमिका निभाती हैं, जिससे हम अपने जीवन को आत्मबोध के दृष्टिकोण से मूल्यांकित कर पाते हैं।

इस कथा से आप क्या शिक्षा ग्रहण कर सकते हो?

medium

Answer: यह कथा सिखाती है कि बाहरी धन और समृद्धि से अधिक, आत्मज्ञान और सच्चा संतोष ही वास्तविक मूल्य रखते हैं।

गरीबी और संपन्नता के विषय में इस कहानी में क्या विचार प्रस्तुत किए गए हैं?

hard

Answer: कहानी के माध्यम से यह विचार प्रकट होता है कि वास्तविक संपन्नता बाहरी वस्तुओं में नहीं बल्कि आंतरिक संतोष में होती है।

कथा का शीर्षक 'कन्थमानिक्यम्' क्यों रखा गया है?

easy

Answer: शीर्षक 'कन्थमानिक्यम्' उस मणि को संदर्भित करता है जो कथा का केन्द्रीय तत्व है और जो आत्मज्ञान का प्रतीक है।