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Chapter Analysis
Intermediate19 pages • HindiQuick Summary
अंशपूँजी के लिए लेखांकन अध्याय में मुख्य रूप से अंशपूँजी के प्रावधानों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस अध्याय में बताया गया है कि किस प्रकार से अंशपूँजी जारी की जाती है और उसे लेखा पुस्तकों में दर्ज किया जाता है। इसमें अंशपूँजी के विभिन्न वर्गों और उनके लेखांकन विधियों पर भी चर्चा की गई है। यह अध्याय कंपनियों के लिए अंशपूँजी से प्राप्त धन के उपयोग और उसका लेखा प्रबंधन कैसे किया जाता है, पर विशेष ध्यान देता है।
Key Topics
- •अंशपूँजी का अर्थ
- •अंशपूँजी के प्रकार
- •अंशपूँजी के लेखांकन प्रविधि
- •अंशपूँजी का प्रावधान और स्वीकृति
- •आवेदन और आवंटन पर प्रक्रिया
- •अंशधारकों के अधिकार
- •नयी अंशों का निर्गम
- •लेखांकन ज़रूरी कानूनी प्रावधान
Learning Objectives
- ✓अंशपूँजी की प्रक्रिया को समझना
- ✓अंशधारकों की जिम्मेदारियाँ और अधिकार जानना
- ✓अंशपूँजी प्राप्त करने की विधियों की पहचान करना
- ✓अंशपूँजी के लेखांकन में पारदर्शिता बनाए रखना
- ✓निवेशकों के दृष्टिकोण से अंशपूँजी का महत्व
- ✓प्रचलित विधान और अंशपूँजी के लिए अनुपालन
Questions in Chapter
लकोसामाजिक कंपनी क्या है?
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फ्यूचर इक्विटी का उपयोग कहाँ किया जा सकता है?
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आवश्यकता के लिए न्यूनतम अंशदान से एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
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Additional Practice Questions
अंशपूँजी के लिए आवेदन की प्रक्रिया का वर्णन करें।
mediumAnswer: कंपनी अंशपूँजी जारी करते समय आवेदन की प्रक्रिया के तहत निवेशकों से संवाद करती है, जिसमें आवेदन पत्र प्राप्त किया जाता है और उन्हें आंशिक या पूर्ण रूप से स्वीकृत या अस्वीकृत किया जाता है।
अंशपूँजी प्रमुखतः किस लिए उपयोग की जाती है?
easyAnswer: अंशपूँजी का उपयोग कंपनी के विभिन्न कार्यों, जैसे कि सुविधाओं की स्थापना, व्यवसाय विस्तार और वित्तीय प्रबंधन आदि के लिए किया जाता है।
अंश संग्रहित करने के विभिन्न तरीके कौन-कौन से हैं?
mediumAnswer: अंश संग्रहित करने के विभिन्न तरीके हैं: आम जनता के लिए सार्वजनिक निर्गम (IPO), निजी प्लेसमेंट, अधिकार निर्गम, और बोनस निर्गम।
अंशपूँजी के लेखांकन में कौन सी बाधाएँ आ सकती हैं?
hardAnswer: अंशपूँजी के लेखांकन में बाधाएँ आ सकती हैं जैसे कि पूँजी संरचना में परिवर्तन, नियम एवं कानूनों में परिवर्तन, और बाजार स्थिति।
अंशपूँजी और ऋण पूँजी में क्या अंतर है?
easyAnswer: अंशपूँजी का संबंध कंपनी के हॉर्सों/शेयरधारकों से होता है जबकि ऋण पूँजी का संबंध उस पूंजी से होता है जो कंपनी बचत या उधार के माध्यम से प्राप्त करती है।