Chapter 14: माधवस्य प्रियम् अङ्गम

Sanskrit • Class 6

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Chapter Analysis

Beginner10 pages • Hindi

Quick Summary

यह पाठ धार्मिक दृष्टांतों और आलस्य के हानिकारक प्रभावों के बारे में उपदेश देता है। एक वृद्ध व्यक्ति और युवा के संवाद के माध्यम से यह समझाने का प्रयास किया गया है कि कैसे उद्यमता और मेहनत से ही जीवन में सफलता मिल सकती है। कहानी में आलस्य को मानव का सबसे बड़ा शत्रु बताया गया है और परिश्रम को सफलता की कुंजी कहा गया है।

Key Topics

  • आलस्य की हानियाँ
  • उद्यमता का महत्व
  • परिश्रम की महत्ता
  • धार्मिक दृष्टांतों का उपयोग
  • शिक्षाप्रद संवाद

Learning Objectives

  • विद्यार्थियों में आलस्य से दूर रहने की प्रेरणा देना
  • उद्यमता और परिश्रम के मूल्यों का विकास करना
  • धार्मिक और नैतिक शिक्षा देना
  • विद्यार्थियों को सिद्धांतों का जीवन में उपयोग करना सिखाना

Questions in Chapter

दभक्कुः दकम् किोदति?

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इच्छा के अनुसार वरिष्ठ व्यक्ति क्या सुझाव देते हैं?

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Additional Practice Questions

आलस्य का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

medium

Answer: आलस्य जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता में बाधा डालता है। यह एक ऐसा शत्रु है जो जीवन को कष्टदायक बना देता है, क्योंकि आलसी व्यक्ति अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं कर पाता।

परिश्रम को सफलता की कुंजी क्यों कहा गया है?

medium

Answer: परिश्रम से ही व्यक्ति अपनी क्षमताओं का विकास कर सकता है और कठिनाइयों में साहसपूर्वक मुकाबला कर सकता है, जिससे उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।

कथानक में वृद्ध व्यक्ति और युवा के संवाद का उद्देश्य क्या है?

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Answer: कथानक का उद्देश्य यह है कि युवाओं को आलस्य से बचने की प्रेरणा मिले और वे मेहनत करने की महत्ता को समझें, जिससे वे अपने जीवन में उन्नति कर सकें।

आपके अनुसार इस अध्याय का सबसे मुख्य संदेश क्या है?

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Answer: इस अध्याय का मुख्य संदेश है कि आलस्य मानव का सबसे बड़ा शत्रु है और परिश्रम से ही सफलता मिलती है।

धार्मिक दृष्टांतों का प्रयोग क्यों किया गया है?

medium

Answer: धार्मिक दृष्टांतों का प्रयोग इसलिए किया गया है ताकि नैतिक शिक्षा दी जा सके और विद्यार्थियों को धार्मिक व नैतिक मूल्यों का बोध हो सके।