Chapter 7: अतिथिदेवो भव

Sanskrit • Class 6

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Chapter Analysis

Beginner11 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में 'अतिथिदेवो भव' के महत्व को समझाया गया है, जो भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख आदर्श है। इसमें बताया गया है कि अतिथि का स्वागत सम्मानपूर्वक कैसे करना चाहिए। इसको महापुरुषों की कहानियों और सूक्तियों के माध्यम से व्यक्त किया गया है। इस पाठ के माध्यम से बच्चों में आतिथ्य सत्कार के प्रति उचित दृष्टिकोण और आदर्शों को विकसित किया जाता है।

Key Topics

  • अतिथिदेवो भव का अर्थ
  • आतिथ्य सत्कार के तरीके
  • महापुरुषों के उदाहरण
  • संस्कृति और परंपरा
  • नैतिक शिक्षा के पहलू
  • धार्मिक और सामाजिक आदर्श
  • समाज में आतिथ्य का महत्व

Learning Objectives

  • अतिथियों का सम्मान कैसे करें
  • आदर्श आतिथ्य सत्कार के तरीके सीखें
  • सकारात्मक सामाजिक व्यवहार का विकास करें
  • आतिथ्य के नैतिक पहलुओं को समझें

Questions in Chapter

एतत् समपूणथं गी‍ंत सस्वरं गायन‍ुत, प्लखन‍ुत, कणठस््ं ि कुव्जन‍ुत।

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पाठस्य आधारेण रिश्नानाम ्उत्तराप्ण एकपदेन प्लखन‍ुत —

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Additional Practice Questions

अतिथिदेवो भव का क्या महत्व है?

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Answer: अतिथिदेवो भव का महत्व यह है कि यह हमें सिखाता है कि कैसे प्रत्येक अतिथि को भगवान के समान मानना चाहिए और उचित सम्मान देना चाहिए। इससे समाज में सद्भावना उत्पन्न होती है।

भारतीय संस्कृति में आतिथ्य कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?

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Answer: भारतीय संस्कृति में आतिथ्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह न केवल सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि यह अतिथि और मेजबान के बीच विश्वास और प्रेम को भी बढ़ावा देता है।