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Chapter Analysis
Intermediate16 pages • HindiQuick Summary
यह अध्याय भक्ति आंदोलन के उद्भव और उसके मुख्य विचारों की खोज करता है। यह आंदोलन सामाजिक विभेदों के खिलाफ खड़ा हुआ था और भगवान पर समर्पित भक्ति का प्रचार करता था। दक्षिण भारत में नयनार और अलवार संतों के प्रयासों का उल्लेख और संत कवियों द्वारा सरल भाषा में व्यक्त की गई भक्ति की महिमा का वर्णन है। यह अध्याय धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक सुधारों के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करता है।
Key Topics
- •भक्ति आंदोलन
- •नयनार और अलवार
- •कबीर के विचार
- •सुरी और भक्त कवि
- •समाज में भक्ति का प्रभाव
- •धार्मिक सहिष्णुता
Learning Objectives
- ✓भक्ति आंदोलन के उद्भव और विकास को समझना
- ✓संत कवियों के सामाजिक योगदान का आकलन करना
- ✓धार्मिक सहिष्णुता की महत्ता को पहचानना
- ✓दक्षिण भारतीय संतों की ऐतिहासिक भूमिका को समझना
Questions in Chapter
संत कवियों ने किन सामाजिक मुद्दों का विरोध किया?
Answer: इन संत-कवियों ने सभी प्रकार के कर्मकांडों, पाखंड और जन्म पर आधारित सामाजिक अंतर को चुनौती दी।
Page 66
कबीर द्वारा व्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे? उन्होंने इन विचारों को कैसे व्यक्त किया?
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बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएं क्या थीं?
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Additional Practice Questions
भक्ति आंदोलन का उद्देश्य क्या था और इसका सामाजिक संरचना पर क्या प्रभाव पड़ा?
mediumAnswer: भक्ति आंदोलन का उद्देश्य भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति के माध्यम से सामाजिक समरसता स्थापित करना था। यह आंदोलन जातिगत भेदभाव के खिलाफ था और समानता को बढ़ावा देता था।
नयनार और अलवार संतों के योगदान का वर्णन कीजिए।
mediumAnswer: नयनार और अलवार संतों ने तमिलनाडु में भक्ति आंदोलन को मजबूत किया। उन्होंने शिव और विष्णु की आराधना की और उनकी रचनाएं सामाजिक सुधार के संदेश देती थीं।
संत तुकाराम की रचनाओं का मुख्य संदेश क्या था?
easyAnswer: संत तुकाराम की रचनाएं सामाजिक समानता, मानवता और करुणा के संदेश देती थीं। वह मानते थे कि सच्चा भक्त वह है जो दूसरों के दुःख को समझता है और सहायता करता है।
भक्तिकालीन संतों की रचनाओं में किस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया गया है और क्यों?
easyAnswer: भक्तिकालीन संतों ने सरल और बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया ताकि उनके संदेश आम जन तक आसानी से पहुंच सकें और लोग उन्हें गा सकें।
कबीर की रचनाएं किस प्रकार की धार्मिक परंपराओं को चुनौती देती हैं?
hardAnswer: कबीर की रचनाएं ब्राह्मणवादी हिंदू धर्म और इस्लाम की बाहरी आडंबरपूर्ण पूजापद्धतियों का मजाक उड़ाती हैं और सच्चे भक्ति की बात करती हैं।