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Chapter Analysis
Intermediate5 pages • HindiQuick Summary
यह पाठ 'गृहं शून्यं सुतां विना' एक गहन सामाजिक संदेश देता है। इसमें बताया गया है कि बच्चों, विशेष रूप से बेटियों का परिवार और समाज में होना कितना महत्वपूर्ण है। यह साहित्यिक कृति उन भावनाओं और मानसिकताओं को व्यक्त करती है, जो बेटियों की अनुपस्थिति से उत्पन्न होती हैं। यह पाठ सामाजिक संतुलन और परिवार की बनावट पर पुत्र या पुत्री की अनुपस्थिति के प्रभाव पर प्रकाश डालता है।
Key Topics
- •पुत्री की महत्ता
- •समाज में संतुलन
- •परिवार की संरचना
- •भावनात्मक समर्थन
- •सांस्कृतिक मूल्य
- •महिलाओं का योगदान
- •लड़कियों की शिक्षा
- •समाज में बदलाव
Learning Objectives
- ✓पुत्री की उपस्थिति के महत्व को समझना
- ✓परिवार और समाज में संतुलन की आवश्यकता पर चर्चा
- ✓महिलाओं के सामाजिक योगदान की पहचान
- ✓लड़कियों की शिक्षा के प्रभाव का अध्ययन
- ✓पुत्रियों के अनुपस्थिति से उत्पन्न सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण
- ✓साहित्यिक दृष्टिकोण से समाज में बदलाव की समीक्षा
Questions in Chapter
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Additional Practice Questions
गृह में पुत्री का महत्व क्यों होता है?
mediumAnswer: पुत्री का गृह में महत्व इसलिए होता है क्योंकि उसकी उपस्थिति से परिवार में प्रेम, स्थिरता और सांस्कृतिक मूल्य पोषित होते हैं।
कला और साहित्य में पुत्रियों की अनुपस्थिति का क्या प्रभाव होता है?
hardAnswer: कला और साहित्य में पुत्रियों की अनुपस्थिति से समाज के मानसिक और सांस्कृतिक विकास में अवरोध उत्पन्न होता है।
गृह में महिलाएँ किस प्रकार का योगदान देती हैं?
mediumAnswer: महिलाएँ परिवार में भावनात्मक समर्थन, नैतिक शिक्षा और सामाजिक संपर्क का संचालन करती हैं।
समाज में लड़कियों के शिक्षा के महत्व को कैसे समझा जा सकता है?
mediumAnswer: लड़कियों की शिक्षा समाज में समानता, उन्नति और सामाजिक न्याय का आधार बनती है।
पाठ के विषय में दिए गए मुख्य संदेश को संक्षेप में लिखिए।
easyAnswer: पाठ का मुख्य संदेश यह है कि परिवार और समाज में संतुलन और समग्र विकास के लिए पुत्रियों की उपस्थिति आवश्यक है।