Chapter 3: नात्सीवाद और हिटलर का उदय

History - Hindi • Class 9

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Chapter Analysis

Intermediate71 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में हिटलर के नेतृत्व में नात्सीवाद के उदय का वर्णन किया गया है। यह प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों को उजागर करता है। हिटलर के सत्ता में आने पर नात्सी पार्टी की विचारधारा और उसके परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें जातीयता, अधिनायकवाद और हिटलर की विस्तारवादी नीतियों का विश्लेषण किया गया है।

Key Topics

  • हिटलर का उदय
  • नात्सी विचारधारा
  • जर्मनी का आर्थिक संकट
  • प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम
  • जर्मन समाज में बदलाव
  • जातिवाद और अधिनायकवाद

Learning Objectives

  • छात्र हिटलर के उदय के कारणों को समझेंगे।
  • नात्सी विचारधारा के प्रमुख तत्वों का विश्लेषण करेंगे।
  • प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी की आर्थिक स्थिति को जानेंगे।
  • हिटलर के अधिनायकवादी शासन के सामाजिक प्रभावों को समझेंगे।

Questions in Chapter

दक्षिणी मॉर्चलैंड का महत्व क्या था? (इसका उत्तर पाठ में नहीं दिया गया)

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नात्सी पार्टियों के अमल का ब्योरा दीजिए।

Answer: नात्सी पार्टी ने जर्मन विचारधारा को व्यापक रूप से प्रचारित किया और इसके द्वारा एक नये सामाजिक और राजनीतिक तंत्र का निर्माण किया।

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Additional Practice Questions

हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी का समाज कैसे बदला?

hard

Answer: हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी में एक शक्तिशाली अधिनायकवादी तंत्र का विकास हुआ। जातिगत शुद्धता और सैन्य शक्ति पर जोर दिया गया, जिससे अन्य जातियों के विरुद्ध हिंसा बढ़ी।

नात्सीवाद की विचारधारा के प्रमुख तत्व क्या थे?

medium

Answer: नात्सीवाद की विचारधारा में जर्मन श्रेष्ठता, विस्तारवाद, अधिनायकवाद और समाज के सभी विरोधियों का दमन शामिल थे।

क्या कारण रहे राष्ट्रपति हिटलर के लिए निर्णायक साबित हुए?

medium

Answer: आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता, और जर्मनी की राष्ट्रीय अस्मिता की दशा के प्रबल प्रचार ने हिटलर के उदय में मदद की।

नात्सी जर्मनी में शिक्षा प्रणाली का स्वरूप क्या था?

medium

Answer: नात्सी जर्मनी में शिक्षा का राजनीतिकरण किया गया और इसे नात्सी विचारधारा के अनुकूल बनाया गया।

जर्मनी के युद्ध के बाद की स्थिति का वर्णन कीजिए।

medium

Answer: युद्ध के बाद, जर्मनी आर्थिक बर्बादी और राजनीतिक अराजकता के दौर में चला गया, जिससे नयी चुनौतियाँ सामने आईं।