Chapter 9: समासा:

Sanskrit - Abhyaswaan Bhav • Class 9

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Chapter Analysis

Intermediate5 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में समासन का महत्व और उनके भेदों का विस्तार से वर्णन किया गया है। समास एक ऐसा प्रक्रिया है जिसके द्वारा अनेक पदों को मिलाकर एक पद बनाया जाता है। इसके तहत तत्पुरुष, अव्ययीभाव, द्वन्द्व और बहुव्रीहि जैसे भेदों की व्याख्या की गई है। यह अध्याय विशेष रूप से तत्पुरुष, द्विगु और द्वन्द्व समास के अभ्यास को प्रमुखता देता है।

Key Topics

  • समास का सार
  • तत्पुरुष समास और उनके भेद
  • द्विगु समास
  • द्वन्द्व समास
  • बहुव्रीहि समास
  • उपपद-तत्पुरुष समास
  • नञ-तत्पुरुष समास
  • अलंकारिक समास

Learning Objectives

  • समास का महत्व और उपयोग समझना
  • विभिन्न समासों की पहचान और उदाहरण प्रस्तुत करना
  • तत्पुरुष समास के विविध भेदों का ज्ञान प्राप्त करना
  • द्वन्द्व और द्विगु समास की अवधारणा में विशेषज्ञता हासिल करना
  • प्रत्येक समास का शाब्दिक और व्यावहारिक अर्थ व्याख्या करना
  • समस्तपद को सरल पदों में विभक्त करने की क्षमता विकसित करना

Questions in Chapter

प्रदत्तपदानां ठवग्हं ्ृ‍तवा समासनाम ठिित

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Additional Practice Questions

समास का परिभाषा क्या है?

easy

Answer: समास वह प्रक्रिया है जिसमें अनेक पदों को मिलाकर एक पद का निर्माण किया जाता है।

तत्पुरुष समास के प्रकार और उनके उदाहरण बताएं।

medium

Answer: तत्पुरुष समास के प्रकारों में द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पञ्चमी, षष्ठी और सप्तमी आदि शामिल हैं। उदाहरण: 'हरिणा तुस्तः' तृतीया-तत्पुरुष है।

द्वंद्व समास का उपयोग कब किया जाता है?

medium

Answer: जब दो समान पदों का समाहार होता है और दोनों पद समान प्रधान होते हैं, तब द्वंद्व समास होता है। उदाहरण: राम: च कृष्ण: च = रामकृष्ण:

अव्ययीभाव समास में कौन से शब्द शामिल होते हैं?

medium

Answer: अव्ययीभाव समास में पहले पद का अव्यय रूप प्रधान होता है। उदाहरण: 'सप्ताहम्' (सप्ताह के लिए) अव्ययीभाव है।

बहुव्रीहि समास का गठन कैसे होता है?

hard

Answer: बहुव्रीहि समास वह होता है जहाँ समस्तपद का अर्थ उसके अवयव पदों में से किसी पर निर्भर नहीं होता। उदाहरण: 'चतुर्थीजन�श्' का अर्थ 'चढ़ता चाँद'।