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Chapter Analysis
Intermediate17 pages • HindiQuick Summary
यह अध्याय जाति, धर्म और लैंगिक असमानताओं पर केंद्रित है, जिनका समाज में गहरा प्रभाव होता है। यह सामाजिक विभाजन और भेदभाव को लोकतंत्र के संदर्भ में प्रस्तुत करता है और इनसे कैसे निपटा जाए, इस पर चर्चा करता है। सांप्रदायिकता, जातिवाद और लैंगिक भेदभाव को राजनीतिक और सामाजिक रूप से संबोधित किया गया है।
Key Topics
- •जातिवाद का प्रभाव
- •धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत
- •लैंगिक असमानता
- •सांप्रदायिक राजनीति
- •राजनीति में सामाजिक विभाजन
- •संविधान और धर्मनिरपेक्षता
- •महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व
- •समाज में विभाजन का प्रभाव
Learning Objectives
- ✓समाज में जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव के प्रभाव को समझना।
- ✓लैंगिक असमानताओं की समाज में भूमिका को पहचानना।
- ✓भारतीय राजनीति में सांप्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण करना।
- ✓धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को जानना और समझना।
- ✓राजनीति में सामाजिक असमानताओं की भूमिका को समझना।
Questions in Chapter
भारत में विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है? इसका उत्तर दें।
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किन्हीं दो प्रावधानों का उल्लेख करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।
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जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है:
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भारत में जहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है:
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सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है:
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Additional Practice Questions
जातिवाद और सांप्रदायिकता के कारण क्या हैं और इनसे कैसे राजनीति प्रभावित होती है?
mediumAnswer: जातिवाद और सांप्रदायिकता का उद्गम सामाजिक विभाजनों में होता है, जो ऐतिहासिक और राजनीतिक कारणों से विकसित होते हैं। इनकी राजनीति में गहरी पैठ होती है, जिससे समाज में भेदभाव और असमानता को बल मिलता है।
लैंगिक असमानता का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
mediumAnswer: लैंगिक असमानता समाज की संरचना और कार्यप्रणाली को प्रभावित करती है, जिससे महिलाओं को अवसरों और सुविधाओं में कमी सामना करना पड़ता है। यह आर्थिक और सामाजिक विकास को भी अवरुद्ध करती है।
भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता को कैसे समाज में स्थापित किया गया है?
hardAnswer: भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता को सुनिश्चित करने के लिए धर्म के आधार पर भेदभाव को रोकता है और सभी धर्मों के प्रति समानता का सिद्धांत लागू करता है।
सांप्रदायिक सोच और राजनीति पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
hardAnswer: सांप्रदायिक सोच सामाजिक विभाजन और तनाव को बढ़ावा देती है और राजनीतिक हितों के लिए धार्मिक तुष्टिकरण का सहारा लेती है। इससे सामाजिक सामंजस्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
लोकतंत्र में सामाजिक असमानताओं की भूमिका क्या हो सकती है?
easyAnswer: लोकतंत्र में सामाजिक असमानताएँ अक्सर राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष का कारण बन सकती हैं, लेकिन अगर सही रूप से नियंत्रित की जाएं, तो ये समाज में विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि भी ला सकती हैं।