Chapter 6: तलपट एवं अशुद्धियों का शोधन

Accountancy Part 1 - Hindi • Class 11

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Chapter Analysis

Intermediate18 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में तलपट तथा अशुद्धियों के शोधन के लिए विस्तार से चर्चा की गई है। इसमें अशुद्धियों के प्रकार, जैसे लेख अशुद्धियाँ, एकतरफा अशुद्धियाँ और सैद्धांतिक अशुद्धियाँ पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके अलावा, अशुद्धियों के शोधन के लिए विभिन्न सिद्धांतों और तकनीकों का अध्ययन भी किया गया है। यह अध्याय लेखांकन के मूल तत्वों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।

Key Topics

  • तलपट के निर्माण की विधियाँ
  • अशुद्धियों के प्रकार
  • लेखकीय अशुद्धियों
  • एकतरफा अशुद्धियाँ
  • सैद्धांतिक अशुद्धियाँ
  • अशुद्धियों का शोधन

Learning Objectives

  • तलपट को तैयार करने की विधियों का ज्ञान प्राप्त करना
  • अशुद्धियों के विभिन्न प्रकारों को समझना
  • सैद्धांतिक अशुद्धियों की पहचान करना
  • लेखकीय अशुद्धियों के उदाहरण जानना
  • अशुद्धियों के शोधन की प्रक्रियाओं का पालन करना
  • अकाउंटिंग में संतुलन के महत्व को जानना

Questions in Chapter

तलपट तैयार करने की विधियाँ बताइए।

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अशुद्धियों के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख करें।

Answer: 1. लेख अशुद्धियाँ 2. एकतरफा अशुद्धियाँ 3. सैद्धांतिक अशुद्धियाँ 4. कृत्रिम अशुद्धियाँ

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Additional Practice Questions

अशुद्धियों के अध्ययन का महत्व समझाइए।

medium

Answer: अशुद्धियों का अध्ययन लेखांकन प्रक्रिया को अधिक सही और प्रभावी बनाने में मदद करता है। यह लेखा रिपोर्टों की सटीकता सुनिश्चित करता है और इससे वित्तीय ताक-झाँक की संभावनाएँ कम होती हैं।

लेखकीय अशुद्धियों के उदाहरण दीजिए।

easy

Answer: लेखकीय अशुद्धियों में जैसे गलत खातों में प्रविष्टियाँ, गलत संख्या लिखना आदि शामिल हैं।

एकतरफा अशुद्धियाँ कैसे पहचानी जाती हैं?

hard

Answer: एकतरफा अशुद्धियाँ तभी पहचान में आती हैं जब लेजर खाता संतुलन में नहीं होता। यह अशुद्धियाँ लेखांकन के दौरान एक ही पक्ष में प्रविष्टि करने से होती हैं।

सैद्धांतिक अशुद्धियों का अर्थ समझाइए।

medium

Answer: सैद्धांतिक अशुद्धियाँ लेखांकन के समय लेन-देन की गलत वर्गीकरण के कारण होती हैं। यह आमतौर पर अकाउंटिंग सिद्धांतों के गलत प्रयोग के कारण होती हैं।

अशुद्धियों के शोधन में कौन से सिद्धांत काम आते हैं?

medium

Answer: अशुद्धियों के शोधन में प्रमेय और प्रयोगात्मक सिद्धांत मुख्य होते हैं। प्रमेय सिद्धांत सामान्य लेन-देन में होती हैं जबकि प्रयोगात्मक सिद्धांत विशेष लेन-देन में अशुद्धियाँ दूर करता है।