Chapter 10: संविधान का राजनीतिक दर्शन

Political Science Part 2 - Hindi • Class 11

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Chapter Analysis

Intermediate13 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में भारतीय संविधान के राजनीतिक दर्शन का विश्लेषण किया गया है। संविधान को मूल रूप से मानव अधिकारों की गारंटी के रूप में देखा जाता है। इसके माध्यम से व्यक्तिगत स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई है। संविधान की रचना के दौरान विभिन्न सामाजिक और आर्थिक अधिकारों पर विचार किया गया था।

Key Topics

  • भारतीय संविधान का मूल उद्देश्य
  • राजनीतिक दर्शन और मानव अधिकार
  • धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
  • सामाजिक न्याय के सिद्धांत
  • व्यक्तिगत और समुदाय के अधिकार
  • सामाजिक-आर्थिक अधिकारों की स्थिति
  • धार्मिक स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्ष राज्य
  • संविधान सभा के विचार और निर्णय

Learning Objectives

  • भारतीय संविधान के राजनीतिक दर्शन को समझना
  • मौलिक अधिकारों का महत्व जानना
  • सामाजिक न्याय की अवधारणा को समझना
  • धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को परखना
  • संविधान सभा द्वारा विचारित प्रमुख मुद्दों का अध्ययन करना
  • संविधान में सामाजिक-आर्थिक अधिकारों की स्थिति का विश्लेषण करना

Questions in Chapter

दिए गए उद्धरण में से कहाँ सामाजिक-आर्थिक अधिकार मौलिक अधिकारों के रूप में शामिल करने के लिए स्थान दिए गए?

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क्या यह सही है कि सामाजिक-आर्थिक अधिकारों को नीति-निर्देशक तत्त्वों के खंड में रखा गया है?

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Additional Practice Questions

भारत में धर्मनिरपेक्षता का क्या अर्थ है?

medium

Answer: भारतीय धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य का कोई धर्म नहीं होगा और सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार होगा, धार्मिक स्वतंत्रता होगी, और धार्मिक समुदायों को अपने धार्मिक मामलों को चलाने की आज़ादी होगी।

भारतीय संविधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर जोर क्यों देता है?

medium

Answer: भारतीय संविधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर जोर देता है क्योंकि यह व्यक्तिगत गरिमा की रक्षा करता है और लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है। यह व्यक्तियों को अपने सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक जीवन में पूर्ण भागीदारी के अवसर प्रदान करता है।

भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय को कैसे परिभाषित किया गया है?

medium

Answer: सामाजिक न्याय का अर्थ है समान अवसर प्रदान करना और भेदभाव के बिना सभी लोगों को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना। संविधान में यह निर्देश राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के माध्यम से किया गया है।

संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण के दौरान किन प्रमुख मुद्दों पर विचार किया गया?

hard

Answer: संविधान सभा ने धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, और समानता पर विशेष ध्यान दिया। साथ ही, अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा और समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों पर भी विचार किया गया।

संविधान के नीति निर्देशक तत्त्व और मौलिक अधिकारों में क्या अंतर है?

medium

Answer: मौलिक अधिकार अधिकारिक रूप से सुनिश्चित किए गए हैं जिन्हें न्यायालयों द्वारा लागू किया जा सकता है। जबकि नीति निर्देशक तत्त्व जो राज्य के दिशा निर्देश हैं, सीधे तौर पर न्यायालयों द्वारा लागू नहीं किए जा सकते, बल्कि ये राज्य नीति का मार्गदर्शन करते हैं।

संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता के कौन-कौन से प्रावधान शामिल हैं?

easy

Answer: भारतीय संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जिसमें धर्म का अनुशीलन, प्रचार और प्रसार करने की स्वतंत्रता शामिल है। यह धार्मिक मामलों को प्रबंधित करने की स्वतंत्रता भी देता है।

भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों का उद्देश्य क्या है?

medium

Answer: भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का उद्देश्य सभी नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता, और न्याय की गारंटी प्रदान करना है। यह व्यक्तियों के मौलिक मानवाधिकारों की सुरक्षा करता है और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करता है।

भारतीय संविधान का उद्देश्य किस प्रकार से राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करना है?

medium

Answer: भारतीय संविधान राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है विविधता में एकता की भावना को बनाए रखते हुए। यह विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के प्रति सम्मान को समर्थन देता है।

संविधान सभा ने किस प्रकार से संघवाद को संविधान में समाहित किया?

hard

Answer: संविधान सभा ने संघवाद को भारतीय सरकार की संरचना में समाहित किया जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन शामिल है, साथ ही राज्यों की स्वायत्तता की रक्षा की जाती है।