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Chapter Analysis
Intermediate14 pages • HindiQuick Summary
इस अध्याय ‘सामाजिक संस्थाओं को समझना’ में समाज की संरचना, परिवार, विवाह, संबंध, जाति, वर्ग और समुदाय जैसी सामाजिक संस्थाओं की भूमिका को समझाया गया है। इसमें बताया गया है कि सामाजिक संस्थाएँ मानव जीवन को संगठित करती हैं और सांस्कृतिक मूल्यों, आचरण नियमों और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में सहायक होती हैं। अध्याय में भारतीय समाज की विविधता और परिवर्तनशीलता के संदर्भ में इन संस्थाओं की प्रासंगिकता पर भी चर्चा की गई है।
Key Topics
- •सामाजिक संस्थाओं की परिभाषा और उद्देश्य
- •परिवार का स्वरूप और कार्य
- •विवाह संस्था और इसके प्रकार
- •जाति व्यवस्था और वर्ग संरचना
- •संस्कृति और सामाजिक नियंत्रण
- •सामाजिक परिवर्तन और संस्थाओं की भूमिका
- •आधुनिक समाज में संस्थागत बदलाव
- •भारतीय समाज की विशिष्ट विशेषताएँ
Learning Objectives
- ✓सामाजिक संस्थाओं की अवधारणा को समझना
- ✓परिवार, विवाह और जाति जैसी संस्थाओं की भूमिका पहचानना
- ✓सामाजिक संरचना में वर्ग और जाति के भेद को स्पष्ट करना
- ✓संस्कृति और संस्थाओं के आपसी संबंध को समझना
- ✓सामाजिक परिवर्तन के कारणों और परिणामों का विश्लेषण करना
- ✓भारतीय समाज में संस्थागत विविधता और परिवर्तन का मूल्यांकन करना
Questions in Chapter
सामाजिक संस्था से क्या अभिप्राय है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
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परिवार किस प्रकार एक सामाजिक संस्था के रूप में कार्य करता है?
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विवाह संस्था के सामाजिक महत्व पर चर्चा कीजिए।
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जाति व्यवस्था के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
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भारतीय समाज में वर्ग और जाति के बीच क्या अंतर है?
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सामाजिक संस्थाओं का व्यक्ति और समाज के विकास में क्या योगदान है?
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क्या सामाजिक संस्थाएँ समय के साथ बदलती हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
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वर्तमान समाज में विवाह और परिवार के स्वरूप में क्या परिवर्तन आए हैं?
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Additional Practice Questions
समाज को संगठित रखने में संस्थाओं की क्या भूमिका होती है?
easyAnswer: सामाजिक संस्थाएँ समाज के आचरण, मानदंडों और भूमिकाओं को नियंत्रित कर समाज में अनुशासन और एकता बनाए रखती हैं।
परिवार को समाज की सबसे महत्वपूर्ण संस्था क्यों कहा जाता है?
mediumAnswer: परिवार सामाजिककरण की पहली इकाई है जहाँ व्यक्ति मूल्य, परंपरा और आचरण सीखता है। यह भावनात्मक और आर्थिक सहयोग भी प्रदान करता है।
जाति व्यवस्था भारतीय समाज में किस प्रकार कार्य करती रही है?
hardAnswer: जाति व्यवस्था ने समाज को विभिन्न वर्गों में बाँटा और व्यवसाय, विवाह तथा सामाजिक संबंधों को नियंत्रित किया। यह सामाजिक पहचान का आधार रही है।
विवाह संस्था के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं?
mediumAnswer: विवाह संस्था के मुख्य प्रकार एकपत्नी प्रथा, बहुपत्नी प्रथा, बहुपति प्रथा और एकपति प्रथा हैं, जो समाज के नियमों के अनुसार भिन्न होते हैं।
आधुनिक समाज में वर्ग व्यवस्था किस प्रकार विकसित हुई है?
mediumAnswer: आधुनिक समाज में वर्ग व्यवस्था व्यक्ति की योग्यता, शिक्षा और आय पर आधारित है, जिससे जाति आधारित भेदभाव में कमी आई है।
संस्कृति और सामाजिक संस्थाओं का आपसी संबंध स्पष्ट कीजिए।
mediumAnswer: संस्कृति सामाजिक संस्थाओं की आत्मा है — वे संस्कृति के मूल्यों, परंपराओं और मानदंडों को सहेजती और आगे बढ़ाती हैं।
समाज में सामाजिक परिवर्तन के क्या कारण हैं?
hardAnswer: शिक्षा, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और तकनीकी प्रगति जैसे कारण सामाजिक संस्थाओं में परिवर्तन लाते हैं।
सामाजिक संस्थाओं की विशेषताएँ क्या हैं?
easyAnswer: इनकी विशेषताएँ हैं — स्थायित्व, सामाजिक मानदंडों पर आधारित होना, सामाजिक नियंत्रण स्थापित करना और मानव व्यवहार को दिशा देना।
विवाह संस्था का विकास समाज में किस प्रकार हुआ?
mediumAnswer: विवाह संस्था प्रारंभिक समाज में जैविक आवश्यकताओं से उत्पन्न हुई और समय के साथ सामाजिक स्वीकृति और नियमों से बंध गई।