Chapter 13: हमारा आदित

Hindi • Class 4

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Chapter Analysis

Beginner17 pages • Hindi

Quick Summary

यह अध्याय 'हमारा आदित्य' सूर्य की विशेषताओं और सूर्य के अध्ययन में प्रयोग होने वाले उपकरण 'आदित्य-एल1' की जानकारी प्रदान करता है। इसमें बताया गया है कि 'आदित्य-एल1' सूर्य पर जारी विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं और गतिविधियों का अध्ययन कैसे करता है। इसके माध्यम से छात्रों को सूर्य के महत्व और अन्तरिक्ष अनुसंधान के विषय में प्रेरित किया गया है।

Key Topics

  • सूर्य की संरचना
  • सौर ऊर्जा और उसके फायदे
  • आदित्य-एल1 यान का महत्व
  • ग्रहण और इसके कारण
  • अंतरिक्ष अध्ययन के उपकरण
  • प्राकृतिक उपग्रहों का अध्ययन

Learning Objectives

  • सूर्य के मूलभूत लक्षणों की पहचान करना
  • अंतरिक्ष अनुसंधान की महत्वपूर्णता को समझना
  • आदित्य-एल1 के कार्य और कार्यप्रणाली को जानना
  • सौर ऊर्जा के उपयोगों को जानना
  • प्राकृतिक घटनाओं जैसे ग्रहण का अध्ययन करना

Questions in Chapter

हमारे वैज्ञानकों ने आदित्य-एल 1 का निर्माण क्यों किया?

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‘आदित्य-एल 1’ ग्रहण के प्रकार का ही एक ज्ञान है।

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आपदित्य-एल 1 में ‘एल 1̓ क्या है और उसका क्या अर्थ है?

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“अध्यापक जी! मैंने सुना है कि सूर्य सात घोड़ों के रथ पर आकाश में यात्रा करने वाला एक राजा है।” वाणी ने अध्यापक से ऐसा क्यों कहा होगा?

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Additional Practice Questions

सूर्य की ऊर्जा हमारे लिए कैसे फायदेमंद है?

medium

Answer: सूर्य की ऊर्जा सौर ऊर्जा के रूप में हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है। यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो बिजली उत्पादन और गर्मी के लिए उपयोगी है।

आदित्य-एल 1 और अन्य अंतरिक्ष यानों में क्या अंतर है?

hard

Answer: आदित्य-एल 1 विशेष रूप से सूर्य के अध्ययन के लिए निर्मित यान है, जो सूर्य की गतिविधियों और उनसे जुड़े रहस्य का पता लगाता है, जबकि अन्य अंतरिक्ष यान भिन्न उद्देश्यों के लिए होते हैं।

सूर्य ग्रहण क्यों होता है?

easy

Answer: जब चंद्रमा धरती और सूर्य के बीच आ जाता है, तब सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए बाधित होता है, इसे ही सूर्य ग्रहण कहते हैं।

'आदित्य' का नाम कैसे पड़ा?

medium

Answer: 'आदित्य' का नाम सूर्य के उपनाम 'आदित्य' पर आधारित है, जो भास्कर का पर्यायवाची है।

सूर्य की सतह का तापमान कितना होता है और इससे पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ता है?

hard

Answer: सूर्य की सतह का तापमान लगभग 5500 डिग्री सेल्सियस होता है, जो पृथ्वी पर औसत तापमान और मौसम को प्रभावित करता है।