Chapter 4: धर्मचक्र प्रवर्तन

Hindi - Sanshipt Budhcharit • Class 8

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Chapter Analysis

Intermediate16 pages • Hindi

Quick Summary

इस अध्याय में तथागत बुद्ध के धर्मचक्र प्रवर्तन के समय का वर्णन है, जब उन्होंने अपने पहले पांच शिष्यों को धर्म का उपदेश दिया। उन्होंने चार आर्यसत्य और अष्टांगिक मार्ग की बात की, जिनके माध्यम से दुःख का अंत किया जा सकता है। यह अध्याय इस महत्वपूर्ण घटना का प्रतिपादन करता है जो बौद्ध धर्म की नींव थी। बुद्ध का ज्ञान और करुणा उनके शिष्यों के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए।

Key Topics

  • चार आर्य सत्य
  • अष्टांगिक मार्ग
  • धर्मचक्र प्रवर्तन
  • बुद्धत्व की प्राप्ति
  • सम्यक दृष्टि और सम्यक संकल्प

Learning Objectives

  • चार आर्य सत्यों को समझना
  • अष्टांगिक मार्ग के महत्व को जानना
  • बुद्धत्व की प्राप्ति की प्रक्रिया का अध्ययन करना
  • धर्मचक्र प्रवर्तन के ऐतिहासिक महत्व को समझना
  • बुद्ध के उपदेशों का अनुपालन कैसे किया जाए

Questions in Chapter

भगवान बुद्ध ने चार आर्यसत्य और अष्टांगिक मार्ग के बारे में क्या बताया?

Answer: भगवान बुद्ध ने बताया कि चार आर्यसत्य हैं - दुःख, दुःख का कारण, दुःख का निरोध और दुःख के निरोध का मार्ग। अष्टांगिक मार्ग के माध्यम से इनका निराकरण संभव है।

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किस प्रकार तथागत के उपदेश से समुदाय के लोग प्रभावित हुए?

Answer: तथागत के उपदेश से समुदाय के लोग बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने धम्म की शरण में आकर अपनी पूर्व धारणाओं को त्याग दिया।

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Additional Practice Questions

धर्मचक्र प्रवर्तन का क्या महत्व है?

medium

Answer: धर्मचक्र प्रवर्तन के माध्यम से भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म की नींव रखी। यह वह क्षण था जब उन्होंने चार आर्य सत्यों और अष्टांगिक मार्ग का उपदेश देकर अपने शिष्यों को दीक्षा दी। इस घटना ने मानवता को एक महत्वपूर्ण जीवन पद्धति और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया।

अष्टांगिक मार्ग की कौन-कौन सी अंग हैं?

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Answer: अष्टांगिक मार्ग के आठ अंग हैं - सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयत्न, सम्यक स्मृति, और सम्यक समाधि।

कैसे बुद्ध अपने अनुयायियों के लिए आदर्श बने?

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Answer: बुद्ध अपने अनुयायियों के लिए आदर्श बने क्योंकि उन्होंने बिना किसी गुरु के आत्मज्ञान प्राप्त किया और सत्य के मार्ग को प्रकट किया। उनके आचरण में अहिंसा, करुणा और सत्य की प्रधानता थी, जिससे उनके अनुयायी प्रेरित हुए।

चार आर्य सत्यों की शिक्षा का वर्तमान जीवन में कैसे पालन किया जा सकता है?

medium

Answer: चार आर्य सत्यों की शिक्षा का पालन वर्तमान जीवन में किया जा सकता है, जब व्यक्ति अपनी जीवन स्थितियों के प्रति जागरूकता रखता है, अपने जीवन के दुख के कारणों को समझता है और अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करके दुख का निरोध करता है।

बुद्ध का यह बयान कि 'मैं अब बुद्ध हूँ', का क्या अर्थ है?

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Answer: बुद्ध का यह बयान कि 'मैं अब बुद्ध हूँ', का अर्थ है कि उन्होंने स्वयं के अंदर ज्ञान और जागरूकता प्राप्त कर ली है और अब वे अपनी आत्मा की पूर्णता की स्थिति में हैं, जहां से वे सबको मार्गदर्शन कर सकते हैं।