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Chapter Analysis
Intermediate8 pages • HindiQuick Summary
इस अध्याय में धातु और उसके प्रकारों का सामान्य परिचय दिया गया है। धातुओं को परस्मैपदी और आत्मनेपदी के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया है। सिखलिंग और क्रियाओं के विभिन्न कालों का विवेचन किया गया है। मुख्यतः धातुओं के 10 गणों का वर्णन और उनका उपयोगिक विस्तृत विवरण दिया गया है।
Key Topics
- •परस्मैपदी धातु
- •आत्मनेपदी धातु
- •लिङ् लकार
- •लङ् लकार
- •लोट् लकार
- •धातु गण
- •सिखलिंग
- •क्रिया काल
Learning Objectives
- ✓धातु के प्रकारों को समझना
- ✓लकारों का सही उपयोग करना
- ✓धातुओं के गणों का अध्ययन
- ✓संस्कृत व्याकरण में धातुरूप का महत्व जानना
Questions in Chapter
प्र.1: कोष्ठके प्रदत्तधयातो: निनद्यष्टलकयारे समुनितप्र्ोगेण वयाक्यानि परू्त।
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Additional Practice Questions
धातुरूप का क्या महत्व है?
mediumAnswer: धातुरूप संस्कृत व्याकरण का आधार है। इसके बिना संस्कृत में क्रियाओं का सही प्रयोग नहीं किया जा सकता। यह भविष्य में संस्कृत लेखन और अनुवाद में सहायता करता है।
लोट् लकार का उदाहरण दीजिए।
easyAnswer: लोट् लकार का उपयोग आदेश देने के लिए होता है, जैसे 'स: गृहं गच्छतु'।
लिङ् लकार में धातु रूप का प्रयोग कैसे होता है?
mediumAnswer: लिङ् लकार का उपयोग इच्छावाचक वाक्यों में होता है, जैसे 'त्वं पठेत्'।
भूतकाल के लिए कौन सा लकार है?
easyAnswer: भूतकाल के लिए लङ् लकार का प्रयोग होता है।
धातु गणों का वर्गीकरण कैसे किया गया है?
mediumAnswer: धातु गणों को उनके प्रयोजन और स्वरूप के अनुसार 10 भागों में विभाजित किया गया है, जैसे भाववादीगण, दिवादीगण, आदि।
धातुरूपों का अभ्यास कैसे लाभदायक होता है?
hardAnswer: धातुरूपों का अभ्यास संस्कृत भाषा की गहरी समझ प्राप्त करने में सहायक होता है, जिससे अनुवाद और लेखन कौशल में सुधार होता है।